Banda News - हाई कोर्ट ने 5 साल पहले हुए 69 हजार शिक्षकों की भर्ती में मेरिट लिस्ट नए सिरे से बनाने का आदेश दिया है। इस फैसले के बाद बांदा जिला कोऑपरेटिव बैंक ने लोन लेने वाले शिक्षकों को रिकवरी लेटर जारी किया है। अखिलेश यादव ने इस फैसले का विरोध जताया है।
यूपी में 69000 शिक्षकों की भर्ती को लेकर आए हाई कोर्ट के आदेश के बाद बांदा में कोऑपरेटिव बैंक ने कई शिक्षकों को रिकवरी लेटर लारी किया है। बैंक के शाखा प्रबंधकों को निर्देश जारी हुए है कि उन शिक्षकों की सूची बनाएं जिन्होंने बैंक से लोन लिया है और उनसे वसूली की जाए। इस पत्र के जारी होते ही पूरे प्रदेश में हड़कंप मच गया। हालांकि कुछ ही घंटे बाद इस पत्र को निरस्त कर दिया गया। जब शासन ने किसी तरह के निर्देश नहीं दिए थे तो कोऑपरेटिव बैंक ने यह कदम क्यों उठाया, यह एक बड़ा सवाल है। सपा मुखिया अखिलेश यादव ने इस मुद्दे पर योगी सरकार पर हमला बोला है। अखिलेश ने कहा कि शिक्षक भर्ती में यूपी की भाजपा सरकार की बदनीयत की जिस तरह फजीहत हुई है, शायद उसका बदला वो अभ्यर्थियों से लेना चाहती थी। तभी ऐसे फरमान निकलवा रही है। इससे पहले से ही नौकरी खोने के डर से डरे हुए शिक्षकों पर अत्यधिक मानसिक दबाव बढ़ेगा।
आपको बता दें कि हाई कोर्ट में 16 अगस्त को अपने फैसले में कहा है कि 2019 में हुई 69000 शिक्षकों की भर्ती के चयनित अभ्यार्थियों की सूची नए सिरे से बनाई जाए। पिछली सूची के आधार पर नौकरी कर रहे शिक्षकों की सेवा पर भी इस आदेश से संकट खड़ा हो गया। नई सूची बनने से उन शिक्षकों की सेवा में भी आंच आ सकती है। तमाम शिक्षकों ने नौकरी के बाद बैंकों से लोन ले रखा है।
मुख्य कार्यपालक अधिकारी ने जारी किया आदेश
हाई कोर्ट के इस आदेश के बाद बांदा जिला कोऑपरेटिव बैंक के मुख्य कार्यपालक अधिकारी जगदीश चन्द्रा ने बांदा और चित्रकूट में संचालित सहकारी बैंकों के शाखा प्रबंधकों को पत्र जारी किया। इस पत्र में उन्होंने कहा है कि 69000 भर्ती वाले शिक्षकों में से किसी को यदि ऋण दिया गया हो, तो उनकी सूची तैयार की जाए। शाखा प्रबंधक खुद उनके खाता खंगाले, बैंक की धन सुरक्षा को देखते हुए समय से ब्याज सहित लोन की वसूली की जाए। जब तक स्थिति स्पष्ट न हो जाए, तब तक इन शिक्षकों को बैंक से नया ऋण स्वीकृत न किया जाए।
सोशल मीडिया पर वायरल हुआ लेटर
इस फरमान के जारी होने से पिछली सूची के आधार पर नौकरी कर रहे शिक्षकों में हड़कंप पहुंच गया। जारी हुए पत्र की सत्यता की जांच के लिए इधर-उधर फोन आने लगे। कुछ ही देर में यह पत्र सोशल मीडिया में भी वायरल हो गया। मामला शासन तक पहुंच गया। इस मामले में जानकारी मिलते ही शासन स्तर पर इस फरमान को निरस्त कर दिया गया। साथ ही कोऑपरेटिव महाप्रबंधक को फटकार भी लगाई गई है।
मुझे इस बारे में नहीं थी जानकारी: कोऑपरेटिव अध्यक्ष
जानकारी मिली है कि शासन से कोऑपरेटिव विभाग ने इस संबंध में किसी तरह का निर्देश जारी नहीं किया था। इस संबंध में कोऑपरेटिव अध्यक्ष को भी जानकारी नहीं दी गई। बिना किसी गाइडलाइन के ही बांदा जिला कोऑपरेटिव के मुख्य कार्यपालक अधिकारी ने शाखा प्रबंधकों को निर्देश जारी किया था। इस बारे में बैंक के अध्यक्ष पंकज अग्रवाल ने बताया कि इस आदेश को शासन स्तर पर निरस्त कर दिया गया है। जारी किए गए आदेश के बारे में मुख्य कार्यपालक अधिकारी ने मुझे भी कोई जानकारी नहीं दी थी।
जल्दबाजी में उठाया गया कदम: शिक्षक सोसायटी अध्यक्ष
शिक्षक सोसायटी बांदा चित्रकूट के अध्यक्ष जय किशोर दीक्षित ने इस पत्र को कोऑपरेटिव बैंक द्वारा जल्दबाजी में उठाया गया कदम बताया। उन्होंने कहा कि अच्छा है कि शासन ने तत्काल संज्ञान ले लिया, अन्यथा निर्देश मिलते ही सभी कोऑपरेटिव बैंक शाखा प्रबंधकों ने शिक्षकों की सूची बनाने का काम शुरू कर दिया था।
साभार - नवभारत टाइम्स
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