स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार अपने राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीवीबीडीसी) के माध्यम से मनुष्यों में लिम्फैटिक फाइलेरिया (एलएफ) रोग को खत्म करने के लिए वर्ष में दो बार 10 फरवरी और 10 अगस्त को मिशन मोड में मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एमडीए) का आयोजन करता है। 10 से 25 फरवरी 2025 तक निर्धारित एमडीए अभियान का पहला चरण देश के 109 जिलों में चलाया जारहा है।
इसी तारतम्य मे कृषि विज्ञान केंद्र, टीकमगढ़ में प्रधान वैज्ञानिक एवम प्रमुख डॉ. वीरेन्द्र सिंह किरार के मार्गदर्शन मेँ जिला स्वास्थ्य समिति (व्ही.बी.डी.सी.पी.) जिला टीकमगढ़/ निवाड़ी (म.प्र.) के सहयोग से डॉ. सतेन्द्र कुमार, वैज्ञानिक (मात्स्यिकी) के नेतृत्व मेआज फाइलेरिया रोधी सामूहिक दवा सेवन (एम.डी.ए.) अभियान कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य जिले में फाइलेरिया के प्रसार को रोकना और समाज को इस गंभीर बीमारी से सुरक्षित करना है।
कार्यक्रम में कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों, कर्मचारियों, स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों, और स्थानीय किसानो ने भाग लिया। इस अवसर पर फाइलेरिया बीमारी के बारे में जागरूकता फैलाई गई और दवा सेवन के महत्व पर प्रकाश डाला गया।
कृषि विज्ञान केंद्र केडॉ. सतेन्द्र कुमारने कहा कि फाइलेरिया संक्रमित मादा क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होने वाला एक संक्रामक रोग है। मच्छरदानी का प्रयोग करें ।इस बीमारी से बचने के लिए सामूहिक दवा सेवन कार्यक्रम में भाग लेना और नियमित रूप से दवा का सेवन करना आवश्यक है।
डॉ. आर.के. प्रजापति,वैज्ञानिक, कृषि विज्ञान केंद्र, टीकमगढ़ ने बताया किफाइलेरिया रोकने के लिए अपने आस पास साफ सफाई रखें एवं गंदे पानी का भराव न होने दें तथा सेप्टिक टैंक की मुहाने / पाईप पर जाली लगायें। प्रति सप्ताह गंदे पानी की नालियों व गड्ढ़ों में जला हुआ इंजन ऑयल / अन्य ऑयल डांलें।
स्वास्थ्य विभाग के डा. रावत, जिला स्वास्थ्य समिति (व्ही.बी.डी.सी.पी.), जिला टीकमगढ़ / निवाड़ी (म.प्र.)ने बताया कि जिले के प्रभावित के हाई रिस्क क्षेत्र में फाइलेरिया नियंत्रण के लिए व्यापक स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि सामूहिक दवा सेवन कार्यक्रम के माध्यम से अधिक से अधिक लोगों को दवा खिलाने का लक्ष्य रखा गया है। उन्होंने समाज से इस कार्यक्रम में सक्रिय रूप से भाग लेने और दवा का सेवन करने की अपील की।
डा. सुनील कटियार, जिला समंवयक, जन अभियान परिषद, टीकमगढ़ने बताया कि यह दवा सुरक्षित और प्रभावी है और इसका कोई गंभीर दुष्प्रभाव नहीं होता है।फाइलेरिया के लक्षण हाथ और पैर की सूजन (हाथीपॉय) व हाइड्रोसिल (अण्डकोष का सूजन) स्तन ग्रांथियों में सूजन, त्वचा का लाल होना और हल्का बुखार आना है।
कृषि विज्ञान केंद्र के किसानों को फाइलेरिया रोग परजिला स्वास्थ्य समिति (व्ही.बी.डी.सी.पी.), जिला टीकमगढ़ / निवाड़ी (म.प्र.) द्वारा शैक्षिक सामग्री उपलब्ध कराई गई।
जिला स्वास्थ्य समिति (व्ही.बी.डी.सी.पी.), जिला टीकमगढ़/निवाड़ी (म.प्र.) के अधिकारियों द्वारा बताया गया। पाँच साल से कम उम्र एवं 90 से.मी. से कम ऊँचाई के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और गंभीर रोग से पीड़ित व्यक्तियों को आईवरमेक्टिन दवा नहीं खाना है। हाई रिस्क क्षेत्र में रहने वाले प्रत्येक स्वस्थ व्यक्ति को दवा खाना है। यह दवा खाली पेट नहीं खाना है।दवा स्वास्थ्य कर्मी के सामने ही खाना जरूरी है। दवा खाने पर परजीवियों के मरने से प्रतिक्रिया स्वरूप कभी कभी सिरदर्द, शरीर में दर्द बुखार, उल्टी तथा बदन पर चकत्ते एवं खुजली जैसी मामूली प्रतिक्रियाएँ देखने को मिलती हैं। घबराएं नहीं आमतौर पर ये लक्षण स्वतः ही ठीक हो जाते हैं।
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