पृथक बुन्देलखण्ड प्रान्त निर्माण के बिना क्षेत्र का विकास असंभव: बु. वि. सेना

बुन्देलखण्ड विकास सेना की एक आवश्यक बैठक आज स्थानीय कम्पनी बाग में बुन्देलखण्ड विकास सेना प्रमुख हरीश कपूर 'टीटू' की अध्यक्षता में आयोजित की गई। बैठक में प्रमुख रूप से पृथक बुन्देलखण्ड प्रान्त निर्माण की आवश्यकता पर जोर दिया गया। बु. वि. सेना प्रमुख हरीश कपूर 'टीटू' ने कहा कि पिछले 25 वर्षों से उनकी सेना गांधीवादी तरीके से पृथक बुन्देलखण्ड राज्य के लिए आंदोलन चला रही है। उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की सीमा से जुड़े बुन्देलखण्ड क्षेत्र की स्थिति अत्यंत खराब है और यह वर्षों से उपेक्षा का शिकार हो रहा है। बेरोजगारी, अशिक्षा, चिकित्सा, पेयजल, सड़क, बिजली और उद्योगों की कमी जैसी समस्याएं इस क्षेत्र में गंभीर रूप से व्याप्त हैं। टीटू ने कहा, "बुन्देलखण्ड क्षेत्र को प्राकृतिक आपदाओं और समस्याओं ने तोड़कर रख दिया है। यह क्षेत्र अपने ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व के बावजूद विकास से वंचित है।" उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि बुन्देलखण्ड का वास्तविक रूप महाराजा छत्रसाल के राज्य के समान है, और उनके राज्य की सीमा में जो जिले शामिल थे, वही असली बुन्देलखण्ड हैं। राज्य पुनर्गठन आयोग का मानक यह है कि राज्य विभाजन बोलियों के आधार पर होना चाहिए। अगर बुन्देलखण्ड से कोई अन्य क्षेत्र जोड़ा जाता है तो यह बुन्देलखण्डवासियों के साथ अत्याचार होगा," टीटू ने कहा। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि महाराजा छत्रसाल ने बुन्देलखण्ड की प्राकृतिक सीमाओं को पहचाना था, जो चंबल और नर्मदा, जमुना और टोंस नदियों द्वारा निर्मित थीं। इसके साथ ही टीटू ने इस बात का भी उल्लेख किया कि प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू ने विन्ध्य प्रदेश बनाने के दौरान बुन्देलखण्ड के महत्व को स्वीकार किया था और अब समय आ गया है कि बुन्देलखण्ड को पृथक राज्य के रूप में मान्यता दी जाए।

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