ललितपुर। विधानसभा और विधान परिषद में बुंदेली भाषा को महत्व मिलने पर जहां क्षेत्रवासियों द्वारा गर्व महसूस किया किया जा रहा है, वहीं इससे बुंदेलखंड की पहचान अब प्रदेश के साथ ही आसपास के अन्य राज्यों के अलावा देश में भी इसका मान व आदर बढ़ जाएगा।
बुंदेलखंड का काफी विस्तृत क्षेत्र है। उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के सात राज्यों में बुंदेली भाषा की विशेष पहचान है। उत्तर प्रदेश में ललितपुर, झांसी, महोबा, मऊरानीपुर और मध्य प्रदेश में सागर, टीकमगढ़ छतरपुर में सबसे अधिक बोलचाल की भाषा बुंदेली ही है, लेकिन इसका मुकाबला शहरी बोलचाल से होने के कारण यह ग्रामीण अंचलों तक ही सिमट कर रह गई। हालांकि, बुंदेली भाषा को कई मंचों पर कलाकारों ने विशेष पहचान भी दिलाई। बुंदेली भाषा को लोक कलाकार देशराज पटैरिया ने अपनी बुंदेली लोकगीतों से विशेष पहचान दिलाई। वहीं सिने कलाकार राजा बुंदेला ने भी बुंदेली भाषा में कई फिल्मों में बुंदेलखंड कलाकार के रूप में बेहतरीन प्रदर्शन किया है। राजा बुंदेला ने प्रथा फिल्म बनाई तो उसमें बुंदेली का प्रयोग किया। सिने कलाकार राम बुंदेला ने किसने भरमाया लखन फिल्म बनाई तो उसमें बुंदेली का इस्तेमाल हुआ है। यही नहीं ललितपुर जनपद की बेटी कवयित्री अनामिका जैन अंबर ने भी देश के बड़े मंचों से बुंदेली भाषा को विशेष पहचान दिलाई है। उनका बुंदेली भाषा में गाया गीत ...यूपी में बाबा ने काफी लोकप्रियता हासिल की थी।
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