दिन-ब-दिन बढ़ती गर्मी के कारण पानी की समस्या गंभीर होती जा रही है. बीते कुछ वर्षों में बालाघाट में रबी के मौसम में धान की खेती का प्रचलन बढ़ा है. यह फसल अधिक पानी मांगती है, लेकिन खेतों में सिंचाई के लिए पानी न मिलने से किसानों में भारी असंतोष है. स्थिति इतनी गंभीर हो गई है कि किसान आंदोलन करने को मजबूर हो गए हैं.
15 गांवों के किसान धरने पर
खैरलांजी विकासखंड के लगभग 15 गांवों के किसान भजिया दंड के राधा कृष्ण मंदिर के पास धरने पर बैठ गए हैं. किसानों का कहना है कि उन्होंने रबी सीजन में धान की फसल लगाई थी, लेकिन पानी की कमी के कारण उनकी फसल सूखने लगी है. कई बार सिंचाई विभाग के अधिकारियों से शिकायत की गई, लेकिन कोई समाधान नहीं मिला. अब हालात यह हैं कि धान की फसल में दरारें पड़ गई हैं और पत्ते पीले पड़ने लगे हैं. किसानों को आशंका है कि 25 प्रतिशत उत्पादन भी मुश्किल से हो पाएगा.
700 एकड़ में लगी है धान की फसल
किसानों ने बताया कि भजिया दंड, अमई, झरिया, झरिया टोला, हेटी, कन्हारटोला, डोंगरिया, मुरझड़ सहित 15 गांवों में लगभग 2,000 किसानों ने 700 एकड़ में रबी धान की फसल लगाई है. हर वर्ष बावनथड़ी नदी पर बने राजीव सागर जलाशय से खरीफ और रबी धान की सिंचाई के लिए पानी छोड़ा जाता है, लेकिन इस साल अब तक पानी नहीं छोड़ा गया. इससे फसल पूरी तरह सूख चुकी है. किसानों को डर है कि उत्पादन में भारी गिरावट आएगी और उन्हें बड़ा आर्थिक नुकसान झेलना पड़ेगा.
किसानों पर पड़ेगा सबसे ज्यादा असर
इस परियोजना के तहत 97 गांवों के 29,412 हेक्टेयर क्षेत्र में वार्षिक सिंचाई की जाती है. दफ्तर के विस्थापन से इन गांवों के किसान सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे. किसानों ने लोकल 18 को बताया कि अभी वे अपनी समस्याओं के समाधान के लिए कटंगी स्थित दफ्तर में जा सकते हैं. लेकिन दफ्तर के छतरपुर शिफ्ट होने के बाद किसानों को अपनी शिकायतें दर्ज कराने के लिए जिला मुख्यालय बालाघाट जाना पड़ेगा, जो डैम से 110 किलोमीटर दूर है.
डैम के रखरखाव पर उठे सवाल
डैम और दफ्तर की वर्तमान दूरी 55 किलोमीटर है, जिससे किसी समस्या के समय अधिकारी समय पर नहीं पहुंच पाते. अब दफ्तर और भी दूर चले जाने के बाद हालात और बिगड़ सकते हैं. इसके अलावा, नहरों की मरम्मत और रखरखाव संबंधी शिकायतों के लिए भी किसान इसी दफ्तर में आते थे. दफ्तर के विस्थापन के बाद किसानों को उचित समाधान मिलने में मुश्किल होगी.
दफ्तर के विस्थापन की जानकारी मिलने के बाद किसान संगठनों में भी नाराजगी है. उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि इस फैसले को रोका नहीं गया, तो किसानों से चर्चा कर आंदोलन किया जाएगा.
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