महोबा: यूपी-एमपी की सीमा पर स्थित उर्मिल बांध में शहर की पेयजल आपूर्ति के लिए महज 15 दिन को पानी बचा है। ऐसे में आने वाले मई-जून में डेढ़ लाख की आबादी के बीच बूंद-बूंद पानी का संकट खड़ा होगा। इस समय बांध की तलहटी पर पानी नजर आ रहा है। भीषण गर्मी में शहरवासियों में पानी को लेकर मारामारी मचना तय है।
महोबा पेयजल पुनर्गठन योजना के तहत उर्मिल बांध से सिजहरी गांव व शहर की डेढ़ लाख की आबादी को पेयजल आपूर्ति मुहैया कराई जाती है। इस बार बारिश के मौसम में बांध अपनी पूरी भंडारण क्षमता के साथ नहीं भर सका था। इस बांध से 60 फीसदी पानी मध्यप्रदेश को और 40 फीसदी उत्तर प्रदेश को मिलता है। इस समय बांध में महज एक मीटर ही पानी बचा है। बांध से प्रतिदिन शहर की पेयजल आपूर्ति के लिए 17 एमएलडी पानी खर्च होता है वहीं इसी बांध से धवर्रा-सिजवाहा पेयजल योजना में 10 से 12 एमएलडी पानी लगता है। पेयजल आपूर्ति करने वाली संस्था का दावा है कि शहर में पेयजल आपूर्ति के लिए बांध में 15 दिन के लिए ही पानी बचा है।
इस बार अप्रैल में ही मई-जून की तरह तापमान बढ़ने से पानी की खपत बढ़ी है। ऐसे में अप्रैल के अंतिम सप्ताह और मई जून में पेयजल को लेकर भीषण संकट पैदा होने की आशंका है। शहर के ऊंचाई वाले छह वार्डों समदनगर, बड़ीहाट, नैकानापुरा आदि में अभी से पेयजल संकट खड़ा हो गया है।
पानी न चढ़ने से लोग दूर-दराज के जलस्रोतों पर आश्रित है। रामकुमार, देवीदीन, प्रमोद, हीरालाल आदि का कहना है कि पेयजल आपूर्ति बेहद धीमी गति से हो रही है। कम ऊंचाई वाले इलाकों में लोग पंपिंग सेट लगा लेते हैं। इससे ऊंचाई में पानी नहीं चढ़ पाता।
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