Mahoba : देवराज इंद्र की सवारी पर जगह-जगह हुई पुष्पवर्षा, गोवर्धन्नाथ मेला पहुंचा उत्सव के शिखर पर

महोबा जिले के चरखारी कस्बे में चल रहे प्रसिद्ध गोवर्धन्नाथज मेले के सातवें दिन मंगलवार को देवराज इंद्र की सवारी धूमधाम से निकाली गई। सवारी जैसे ही नगर की गलियों से होकर गुजरी, जगह-जगह भक्तों ने फूल बरसाकर स्वागत किया। पूरा कस्बा “गोवर्धननाथजू की जय” के जयकारों से गूंज उठा। भक्तों ने आरती उतारकर श्रद्धा प्रकट की और मेला परिसर तक सवारी के साथ चलकर धार्मिक उल्लास में भाग लिया।

मेला परिसर में इंद्रदेव का आगमन

देवराज इंद्र की यह सवारी सदर मंदिर से प्रारंभ होकर मेला परिसर स्थित गोवर्धन्नाथ मंदिर तक पहुंची। मंदिर पहुंचने के बाद देवराज इंद्र को विशेष रूप से सजाए गए मंच पर विराजमान कराया गया। इसके बाद उन्होंने भगवान गोवर्धन्नाथजू से अपनी उंगली से गोवर्धन पर्वत उतारने की प्रार्थना की। इस धार्मिक दृश्य ने श्रद्धालुओं को भाव-विभोर कर दिया।

ऐतिहासिक परंपरा का पालन

बुंदेलखंड के “कश्मीर” कहे जाने वाले चरखारी में यह मेला ऐतिहासिक परंपरा का प्रतीक है। इसका शुभारंभ 1883 में तत्कालीन शासक द्वारा कराया गया था। तब से हर वर्ष कार्तिक मास में यह मेला एक माह तक आयोजित होता आ रहा है। भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं पर आधारित यह आयोजन धार्मिक आस्था और लोक संस्कृति का संगम बन चुका है।

विभिन्न मंदिरों से आई भगवान की सवारियां

मंगलवार को केवल इंद्रदेव की ही नहीं, बल्कि गुमान बिहारी जू मंदिर रायनपुर, गोपाल बिहारी जू मंदिर सुदामापुरी और कस्बे के अन्य मंदिरों में स्थापित भगवानों की प्रतिमाएं भी मेला परिसर पहुंचीं। शोभायात्राओं के आगमन से मेला क्षेत्र पूरी तरह भक्तिमय माहौल में डूब गया।

श्रद्धा और आस्था का केंद्र बना चरखारी

देवराज इंद्र की सवारी और फूलों की वर्षा के साथ मेला अपने चरम पर पहुंच गया। दिनभर भक्तों का तांता लगा रहा। रंग-बिरंगे पुष्पों और भक्ति गीतों से सजे इस आयोजन ने चरखारी को एक बार फिर धार्मिक उत्सव का केंद्र बना दिया।

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