चित्रकूट में रबी की बुवाई पर संकट: नहरों की सफाई से अटकी सिंचाई, किसान चिंतित

चित्रकूट में रबी सीजन की बुवाई शुरू हो चुकी है, लेकिन खेतों में पलेवा के लिए पानी की कमी किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें बढ़ा रही है। इस समय गेहूं की बुवाई का सबसे उपयुक्त दौर चल रहा है, पर नहरों में पानी न पहुँच पाने से खेती की गति धीमी हो रही है। वजह है–नहरों में सिल्ट सफाई का अधूरा काम, जो अभी जारी है।

नहरों की सफाई अधूरी, सिंचाई अटकी

जिले में बड़ी संख्या में खेतों की सिंचाई नहरों पर ही निर्भर है। हर साल रबी शुरू होते ही नहरों के जरिए पानी छोड़ा जाता है, लेकिन इस बार नहरों की सफाई पीछे छूट गई है। सिल्ट न हटने से पानी प्रवाह सुचारु नहीं हो पाएगा, इसलिए विभाग पानी छोड़ने से पहले सफाई पूरी करने में जुटा है। तय समय इसी महीने का अंतिम सप्ताह है, पर खेतों की तत्काल जरूरत देखते हुए यह देरी किसानों को भारी पड़ सकती है।

खाली खेत, इंतजार में किसान

धान की फसल कट चुकी है और खेत गेहूं की बुवाई के लिए तैयार हैं। किसान मशीनें और बीज तक तैयार रखे बैठे हैं, लेकिन पानी के बिना बुवाई शुरू नहीं कर पा रहे। उनका कहना है कि अगर पलेवा समय पर न हुआ तो बुवाई खिसक जाएगी, और मौसम बिगड़ा तो फसल पर सीधा असर पड़ेगा। देर से बोई गई फसल का उत्पादन कम होने का खतरा हमेशा बना रहता है।

किसानों का तर्क है कि रबी सीजन हर साल तय रहता है, ऐसे में नहर सफाई समय से पहले पूरी होनी चाहिए थी। अब जब बुवाई का सीधा दबाव खेतों पर है, तब सफाई का अंतिम चरण चल रहा है। विभाग का कहना है कि सफाई पूरी होते ही नहरों में पानी छोड़ा जाएगा, लेकिन किसान इस अनिश्चितता से परेशान हैं।

उत्पादन पर पड़ सकता है असर

अगर बुवाई और आगे बढ़ी तो मौसम की ठंडक घटने का डर है, जिससे गेहूं की बढ़वार प्रभावित हो सकती है। किसान मानते हैं कि समय पर सिंचाई ही फसल की नींव है, और इस देरी से उनकी मेहनत व खर्च पर अतिरिक्त भार पड़ेगा।

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