जालौन जनपद के जगम्मनपुर के समीप पंचनद संगम पर कार्तिक पूर्णिमा के पावन अवसर पर आस्था का विशाल जनसैलाब उमड़ पड़ा। सोमवार देर रात से ही श्रद्धालु स्नान के लिए पहुंचने लगे थे, जो मंगलवार सुबह तक निरंतर जारी रहा। श्रद्धालुओं ने पंचनद के पवित्र जल में डुबकी लगाकर पुण्य अर्जित किया और फिर आसपास स्थित ऋषि आश्रमों व देवस्थलों में दर्शन-पूजन किया।
पंचनद संगम वह स्थल है जहां पांच नदियां — यमुना, चंबल, सिंध, क्वारी और पहुज — मिलती हैं। यह संगम न केवल धार्मिक दृष्टि से, बल्कि ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से भी अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। मान्यता है कि पंचनद में स्नान करने से अकाल मृत्यु का भय समाप्त होता है और व्यक्ति को यमराज के कष्टों से मुक्ति मिलती है। इस कारण हर वर्ष कार्तिक पूर्णिमा पर यहां श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है।
भव्य यमुना आरती और रंगीन आतिशबाजी
स्नान पर्व से एक दिन पहले सोमवार की शाम पंचनद संगम पर पारंपरिक यमुना आरती का आयोजन किया गया। इस दौरान पूरा वातावरण “हर हर महादेव” और “जय मां यमुना” के जयघोष से गूंज उठा। आरती में हजारों श्रद्धालु, स्थानीय जनप्रतिनिधि और संत-पुरोहित शामिल हुए। दीपों की झिलमिलाहट से पूरा घाट दिवाली की तरह जगमगा उठा।
आरती के उपरांत शानदार आतिशबाजी का आयोजन किया गया, जो करीब तीन घंटे तक चलती रही। आकाश में चमकते रंगीन पटाखों ने उपस्थित श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। इस मनोहर दृश्य ने पूरे क्षेत्र को धार्मिक और उत्सवी माहौल में सराबोर कर दिया।
प्रशासन की चाक-चौबंद व्यवस्था
श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को देखते हुए प्रशासन ने विशेष तैयारियां कीं। पुलिस बल, राजस्व कर्मियों और स्वास्थ्य टीमों को तैनात किया गया। सुरक्षा, यातायात, पेयजल, प्रकाश और साफ-सफाई की व्यवस्था के लिए अलग-अलग टीमों ने जिम्मेदारी संभाली। जिला प्रशासन के अनुसार, इस वर्ष मेला क्षेत्र में अस्थायी चिकित्सा शिविर भी लगाए गए हैं ताकि किसी भी आपात स्थिति में श्रद्धालुओं को तत्काल उपचार मिल सके।
कार्तिक पूर्णिमा के पावन पर्व पर पंचनद संगम का यह भव्य आयोजन श्रद्धा, भक्ति और भारतीय परंपरा का अनोखा संगम बन गया, जहां आस्था की डुबकी के साथ आसमान भी भक्ति की रोशनी से झिलमिला उठा।

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