उत्तराखंड की राजनीति में हलचल , सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत दे सकते हैं इस्तीफा

 उत्तराखंड में नेतृत्व परिवर्तन की चर्चाओं के बीच आज सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत देहरादून पहुंच गए हैं। उनके देहरादून पहुंचते ही कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। सीएम सुबह करीब 11 बजे जौली ग्रांट एयरपोर्ट पहुंचे। इस दौरान भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं ने उनका स्वागत किया। इसके बाद वे घर के लिए निकल गए। 



एयरपोर्ट से त्रिवेंद्र सीधे ही सीएम आवास के लिए रवाना हो गए थे।  सीएम आवास जाने के दौरान वह अपने विधानसभा क्षेत्र डोईवाला से भी होकर गुजरे थे। सीएम त्रिवेंद्र मंगलवार दोपहर करीब दाे बजे प्रेस कांफ्रेंस करेंगे। सूत्रों की मानें तो सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत आज शाम करीब चार बजे करीब राजभवन में राज्यपाल बेबी रानी मौर्य से मिलने जा सकते हैं। दिलचस्प बात है कि उत्तराखंड की सियासत में हमेशा से मार्च का महीना अहम रहा है।

देहरादून

उत्तराखंड में त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार की कुर्सी खतरे में है। सियासी उथल-पुथल के बीच दिल्ली से लेकर राज्य तक बैठकें चल रही हैं। त्रिवेंद्र सिंह रावत ही उत्तराखंड के सीएम रहेंगे या कोई और बनेगा इसे लेकर बहस जारी है। इन सबके बीच उत्तराखंड में एक चर्चा और हो रही है, यह है मार्च के महीने की। ऐसा इसलिए है क्योंकि मार्च के महीने में हिमालय राज्य में पहले भी कई प्रमुख सियासी उथल-पुथल देखने को मिली है।



सीएम त्रिवेंद्र के शाम चार बजे राजभवन जाने की चर्चा है।  किन्तु राजभवन ने इससे इनकार किया है। सीएम ने राजभवन से अभी तक कोई समय नहीं लिया है। चर्चाएं हैं कि सीएम इस्तीफा दे सकते हैं। हालांकि इसकी कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं है

 प्रदेश भाजपा के प्रवक्ता मुन्ना सिंह चौहान ने बताया कि सीएम त्रिवेंद्र शाम तीन बजे मीडिया से बात करेंगे। उधर, मंत्री धनसिंह रावत भी श्रीनगर से देहरादून के लिए निकल गए हैं। भाजपा के केंद्रीय पर्यवेक्षक रमन सिंह शाम को फिर देहरादून के लिए निकल गए हैं।

इसलिए त्रिवेंद्र सिंह रावत के खिलाफ हुए विधायक

यह मार्च का महीना ही है कि सीएम ने बजट सत्र के दौरान गैरसैंण को उत्तराखंड का तीसरा मंडल घोषित कर दिया। इस मंडल में कुमाऊं और गढ़वाल के दो दो जिलों को सम्मिलित किया गया है। चमोली,रुद्रप्रयाग, अल्मोड़ा और बागेश्वर जिलों को इस मंडल में सम्मिलित किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि कमिश्नर और डीआईजी स्तर के अधिकारी गैरसैण में बैठेंगे।

इसलिए मार्च का महीना उत्तराखंड के लिए है खास

त्रिवेंद्र सिंह रावत के इस फैसले के बाद कुमाऊं के बीजेपी विधायक बहुत नाराज हैं और राज्य में राजनीतिक संकट की स्थिति बन गई है। राजनीतिक विश्लेषक जय सिंह रावत ने टीओआई को बताया, 'मार्च का उत्तराखंड की राजनीति के साथ एक विशेष संबंध है क्योंकि यह वह महीना है जब प्रत्येक चुनाव के बाद एक नई सरकार का गठन होता है। इसके अलावा, बजट सत्र - जो आमतौर पर मार्च में पारित होता है - अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाता है।'



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