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बुंदेलखंड के बेटे, युवाओं के प्रेरणा स्त्रोत आईजी राजाबाबू सिंह ने संभाली बीएसएफ की कमान

बुंदेलखंड में युवाओं के प्रेरणास्त्रोत, मध्य प्रदेश केडर के 1994  बैच के आईपीएस अधिकारी राजा बाबू सिंह ने चुराचंदपुर मणिपुर में बीएसएफ आईजी के रूप में पदभार ग्रहण किया। वह दो सीमा सुरक्षा बलों में काम करने वाले मप्र के पहले आईपीएस बन गए है।उनसे पहले म.प्र. के किसी आईपीएस ने दो-दो बार देश के पूर्वोत्तर राज्यों में काम नहीं किया।


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राजाबाबू सिंह इसके पूर्व आईटीबीपी मे भी प्रतिनियुक्ति पर भी पदस्थ रहे है तब उनकी पहली पदस्थापना ईटानगर अरुणाचलप्रदेश की थी। उ.प्र. के जनपद बांदा में पचनेही गांव के मूल निवासी राजाबाबू सिंह अपने कैरियर की शुरुआत में जबलपुर शहर के एस.पी (सिटी) रहे है । लोग आज भी उन्हें उनकी दबंगई और ईमानदारी के लिए याद करते है। सिंह कोरबा, राजगढ़, सतना, भिंड व छिन्दवाड़ा में पुलिस कप्तान रहे।उन्हे उत्कृष्ट सेवा के लिए वीरता पदक से भी नवाजा गया है।

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प्रतिनियुक्ति पर जाने के पूर्व वह आईजी/एडीजी ग्वालियर जोन के पद पर पद्स्थ रहे है। यहां रहते हुए उन्होंने समाजिक कार्यों में अपना अहम योगदान दिया है चाहे वह प्रकृति के लिए पौधरोपण कार्य हो, युवाओं को अच्छे कार्यों के प्रति प्रेरणा देना हो या भागवत गीता का वितरण हो। मणिपुर में बीएसएफ आईजी के रूप में पदभार ग्रहण करने से एक बार फिर बुंदेलखंड गौरवन्वित हुआ है।

मणिपुर धुर पूर्वोत्तर राज्यों में शुमार है, यह राज्य म्यांमार से अंतर्राष्ट्रीय सीमा बनाता है और अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ कई ट्राइबल स्टॉक के लोग रहते है। सभी का अपना अलग खान पान, पहनावा और रीति रिवाज है। मणिपुर-म्यांमार का खूबसूरत सीमावर्ती टाउन  “मोरे” में दोनो देशों के लोग खरीददारी करने के लिए आते है ।

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आईजी राजाबाबू सिंह युवाओं के प्रेरणास्त्रोत है. वे युवाओं को अपने कर्त्तव्य के प्रति जागरूक रखने का हमेशा प्रयास करते रहते है. वे जिस जगह भी पद्स्थ रहे उन्होंने वँहा समाजिक कार्यों में अपना अहम योगदान दिया. 


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