जबलपुर: सरकारी वकीलों की नियुक्ति संबंधी मामले की सिंगल बेंच करेगी सुनवाई, नियुक्ति शून्य घोषित करने को लेकर लगाई गई है याचिका
140 अधिवक्ताओं की शासकीय अधिवक्ताओं के रूप में नियुक्ति की गई है। उक्त नियुक्तियों मे अनुसूचित जाति वर्ग से एक भी अधिवक्ता को शासकीय वकील के रूप में नियुक्ति नहीं दी गई है। मामले की सुनवाई सिंगल बेंच में होगी।
जबलपुर, इंदौर व ग्वालियर महाधिवक्ता कार्यालयों में हुई शासकीय अधिवक्ताओं की नियुक्ति को कटघरे में रखते हुए हाईकोर्ट में चुनौती देने वाले मामले में सुनवाई बढ़ गई है। जस्टिस सुजय पॉल व जस्टिस डीडी बसंल की युगलपीठ के समक्ष शनिवार को हुई सुनवाई के बाद कोर्ट ने मामले की सुनवाई एक सप्ताह बाद एकलपीठ के समक्ष किए जाने के निर्देश दिए हैं।
बता दें कि यह याचिका छोटी कुशराम की ओर से दायर की गई है। जिसमें उक्त शासकीय अधिवक्ताओं की नियुक्तियों में ओबीसी, एससी-एसटी सहित महिलाओं को समुचित प्रतिनिधित्व नहीं दिया गया है। आवेदिका का कहना है कि 140 अधिवक्ताओं की शासकीय अधिवक्ताओं के रूप में नियुक्ति की गई है। उक्त नियुक्तियों मे अनुसूचित जाति वर्ग से एक भी अधिवक्ता को शासकीय वकील के रूप में नियुक्ति नहीं दी गई है।
याचिकाकर्ता का कहना है कि वे जबलपुर हाईकोर्ट में वर्ष 2004 से वकालत का व्यवसाय कर रही हैं। उन्होनें उक्त याचिका में स्वयं को शासकीय अधिवक्ता के रूप में नियुक्ति नहीं चाही है, बल्कि नियुक्तियों को संविधान के अनुछेद 14,15 एवं 16 से असंगत बताते हुए मध्य प्रदेश (लोक सेवा) आरक्षण अधिनियम 1994 की धारा 4 का उल्लंघन बताते हुए अधिनियम की धारा 14 के तहत उक्त नियुक्तियां शून्य घोषित करने की राहत चाही गई है। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता उदय कुमार व विनायक शाह पैरवी कर रहे हैं।
साभार- अमर उजाला
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