बांदा जिले के युवाओं के लिए अब शिक्षा के नए द्वार खुलने जा रहे हैं। गांवों में आधुनिक तकनीक से सुसज्जित डिजिटल लाइब्रेरी की स्थापना की तैयारी शुरू हो गई है। पहले चरण में 117 ग्राम पंचायतों में इन लाइब्रेरियों की शुरुआत होगी। प्रत्येक लाइब्रेरी की स्थापना ग्राम सचिवालय में की जाएगी और इस पर लगभग चार लाख रुपये का खर्च आएगा। पंचायत भवनों के दो कमरे पहले ही खाली करा दिए गए हैं ताकि जल्द काम शुरू किया जा सके।
नवंबर से खुलेंगी डिजिटल लाइब्रेरी
लाइब्रेरी समिति द्वारा लखनऊ की एक निजी कंपनी को टीवी, कंप्यूटर, फर्नीचर और पुस्तकों की आपूर्ति के लिए करीब 1.52 करोड़ रुपये की धनराशि दी जा चुकी है। उम्मीद है कि इस माह के अंत तक सामग्री की आपूर्ति हो जाएगी, जिसके बाद नवंबर से ई-लाइब्रेरी शुरू कर दी जाएगी। डीपीआरओ के अनुसार, जिले की कुल 234 ग्राम पंचायतों में चरणबद्ध तरीके से डिजिटल लाइब्रेरियां स्थापित की जानी हैं। लाइब्रेरियों में इंटरनेट, वाई-फाई, कंप्यूटर, ई-बुक्स और बच्चों के लिए पढ़ने-बैठने की सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी।
गांव में ही मिलेगी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी का मौका
डिजिटल लाइब्रेरी की सबसे बड़ी विशेषता यह होगी कि ग्रामीण युवाओं को अब पढ़ाई और प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी के लिए दिल्ली, लखनऊ या कोटा जैसे बड़े शहरों में जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। यह पहल आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के विद्यार्थियों के लिए वरदान साबित होगी। प्रशासन का मानना है कि यह परियोजना गांवों में शिक्षा, स्वावलंबन और डिजिटल सशक्तिकरण की दिशा में बड़ा कदम होगी। अधिकारियों ने निर्देश दिए हैं कि जल्द से जल्द सभी लाइब्रेरियों को क्रियान्वित कर पुस्तकों का पर्याप्त संग्रह उपलब्ध कराया जाए।
बांदा की डिजिटल लाइब्रेरी योजना गांव के युवाओं के लिए ज्ञान का नया केंद्र बनने जा रही है। इससे न सिर्फ शिक्षा का स्तर बढ़ेगा, बल्कि ग्रामीण क्षेत्र डिजिटल इंडिया की दिशा में एक मजबूत कदम भी बढ़ाएगा
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