चित्रकूट में शुक्रवार से दस दिवसीय स्वदेशी मेले की शुरुआत हुई। यह मेला अंतरराष्ट्रीय ट्रेड शो की तर्ज पर आयोजित किया गया है। इसका उद्देश्य है — स्थानीय व्यापारियों, कारीगरों और महिलाओं के स्व-सहायता समूहों को एक ऐसा मंच देना, जहां वे अपने हुनर और उत्पादों को सीधे जनता तक पहुंचा सकें।
मेले में सजे लोकल उत्पादों के स्टॉल
मेले का शुभारंभ एमएलसी अविनाश सिंह चौहान ने पुरानी कोतवाली के पास फीता काटकर किया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का लक्ष्य है कि भारत आत्मनिर्भर बने और स्वदेशी उत्पादों के उपयोग से देश विकास की नई ऊंचाइयों पर पहुंचे। मेले में चित्रकूट के लकड़ी के खिलौने, मिट्टी की मूर्तियां, हाथ से बने साबुन, टोकरी, कालीन, घरेलू मसाले और महिला समूहों द्वारा तैयार हस्तनिर्मित उत्पाद प्रदर्शित किए गए हैं। यहां आने वाले लोग न केवल खरीदारी कर सकते हैं, बल्कि स्थानीय कारीगरों की मेहनत और रचनात्मकता को भी नजदीक से देख सकते हैं।
स्थानीय अर्थव्यवस्था को मिलेगा बढ़ावा
एमएलसी चौहान ने बताया कि स्वदेशी मेले का मुख्य उद्देश्य है स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देना, कारीगरों को बाजार उपलब्ध कराना और उन्हें उपभोक्ताओं से सीधे जोड़ना। इससे रोजगार सृजन, आर्थिक विकास और महिलाओं की आय में वृद्धि होगी।
46 स्टॉल, रोजाना सुबह 11 से रात 8 बजे तक खुलेगा मेला
जिला उद्योग उपायुक्त एस.के. केसरवानी ने जानकारी दी कि यह मेला 19 अक्टूबर तक चलेगा। उन्होंने बताया कि कुल 46 दुकानें लगाई गई हैं। उनका कहना है कि अधिक से अधिक लोग यहां पहुंचें और स्थानीय उत्पादों की खरीद करें, ताकि “लोकल व्यापार को बल मिले और कारीगरों की आय बढ़े।”
चित्रकूट का यह स्वदेशी मेला न सिर्फ स्थानीय उत्पादों के प्रचार का माध्यम बना है, बल्कि यह आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक सशक्त कदम साबित हो रहा है।
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