Chitrakoot : गोस्वामी तुलसीदास की जन्मस्थली राजापुर के संकट मोचन मंदिर में मेला शुरू

चित्रकूट। गोस्वामी तुलसीदास की जन्मभूमि राजापुर में श्रद्धा और भक्ति का माहौल छा गया है। अगहन माह के अवसर पर बृहस्पतिवार से संकट मोचन मंदिर परिसर में वार्षिक मेले की शुरुआत हुई, जिसमें सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। श्रद्धालुओं ने भगवान हनुमान के दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त किया। मंदिर परिसर और आसपास के क्षेत्र में श्रद्धालुओं की आवाजाही से पूरा वातावरण भक्ति भाव से सराबोर हो गया।

एक माह तक चलेगा मेला

मेला परिसर में स्थानीय लोगों के साथ-साथ दूरदराज से आए भक्तों ने भी भाग लिया। बच्चों और महिलाओं ने मेले में लगी दुकानों से खरीदारी की, जिससे बाजारों में रौनक लौट आई। यह पारंपरिक मेला एक माह तक चलेगा, जिसमें धार्मिक आयोजन, भजन-संगीत और सांस्कृतिक कार्यक्रमों की श्रृंखला देखने को मिलेगी।

संकट मोचन मंदिर की पौराणिक कथा

राजापुर कस्बे में यमुना नदी के किनारे स्थित संकट मोचन मंदिर धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। मंदिर के पुजारी ने बताया कि यह वही पवित्र स्थान है जहाँ गोस्वामी तुलसीदास जी को भगवान हनुमान ने स्वप्न में दर्शन दिए थे। कहा जाता है कि तुलसीदास जी प्रतिदिन नांदी गांव स्थित हनुमान मंदिर में पूजा करने जाया करते थे। एक दिन नदी में बाढ़ आने के कारण वे गेडुआ नाला के पास रुक गए, जहां उन्हें नींद आ गई। स्वप्न में भगवान हनुमान ने उन्हें दर्शन देकर कहा कि अब उन्हें नांदी गांव जाने की आवश्यकता नहीं है।

मूर्ति का दिव्य प्रकट होना

स्वप्न के बाद तुलसीदास जी ने यमुना किनारे एक चट्टान पर पत्थर से भगवान हनुमान की आकृति उकेरी। समय के साथ वह आकृति स्वयं मूर्ति का रूप ले ली और तब से यह स्थान संकट मोचन मंदिर के नाम से प्रसिद्ध हुआ। यह मंदिर आज भी आस्था का केंद्र बना हुआ है और हजारों श्रद्धालु यहां दर्शन करने आते हैं।

मानस मंदिर का महत्व

संकट मोचन मंदिर से कुछ ही दूरी पर स्थित मानस मंदिर भी श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र है। कहा जाता है कि यहां गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा अपने हाथों से लिखी रामचरितमानस सुरक्षित रखी हुई है। हर वर्ष अगहन माह में लगने वाला यह मेला तुलसीदास जी की भक्ति परंपरा और रामचरितमानस की अमर गाथा का जीवंत प्रतीक बनकर भक्तों के हृदय को आस्था से भर देता है।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ