Mahoba: ऐतिहासिक धरोहरों से रूबरू होकर खिल उठे दिव्यांग बच्चों के चेहरे

महोबा में समग्र शिक्षा अभियान के तहत दिव्यांग बच्चों के लिए एक खास एक्सपोज़र विजिट का आयोजन किया गया। सुबह के समय विद्यालय परिसर से बच्चों का उत्साह देखते ही बन रहा था। बस में सवार होते हुए उनके चेहरों पर नई जगहों को देखने का उमंग स्पष्ट झलक रहा था। यात्रा का उद्देश्य बच्चों को किताबों से बाहर वास्तविक दुनिया की झलक दिखाना और सीखने के नए अनुभवों से जोड़ना था।

धरोहरों का दीदार और नई ऊर्जा

यात्रा के दौरान बच्चों ने क्षेत्र की कई ऐतिहासिक और पर्यटन स्थलों का भ्रमण किया। पुरातन मंदिरों की भव्यता, तालाबों और विहारों का प्राकृतिक सौंदर्य उनके लिए किसी रोमांच से कम नहीं था। जब बच्चे प्राचीन मंदिरों के पत्थरों पर उकेरी गई कलाकृतियों को निहारते, तो उनके चेहरे पर आश्चर्य और खुशी एक साथ झलक पड़ती।

सुरम्य वातावरण, शांत जलाशयों और आसपास की हरियाली ने बच्चों के मन को जैसे नया आयाम दे दिया। उन्होंने अपने शिक्षकों और साथियों के साथ इन स्थानों के बारे में सरल भाषा में रोचक जानकारी भी सुनी, जिसे वे बड़े ध्यान से समझते रहे।

सुरक्षित और देखरेख में पूरी हुई यात्रा

विज़िट के दौरान बच्चों के साथ शिक्षकों, देखरेखकर्ताओं और अभिभावकों की टीम भी मौजूद रही, ताकि पूरा सफर सुरक्षित और सुचारु रूप से पूरा हो सके। बस में बच्चों की सुविधा के लिए सभी इंतज़ाम किए गए थे। बच्चों ने हंसी-मजाक, गीत-संगीत और अनुभव साझा करते हुए सफर को और यादगार बनाया।

खजुराहो के खूबसूरत मंदिरों तक पहुंचा उत्साह

उधर कुलपहाड़ क्षेत्र से निकले बच्चों का एक समूह विश्वप्रसिद्ध खजुराहो के मंदिरों तक पहुँचा। वहां की अनूठी स्थापत्य कला, प्राचीन मूर्तियां और चारों ओर फैली सांस्कृतिक महक ने बच्चों को मंत्रमुग्ध कर दिया। इन मंदिरों के विशाल प्रांगण में बच्चों ने इतिहास और कला की एक नई दुनिया को करीब से महसूस किया।

अनुभव बना सीख का ज़रिया

यह पूरा भ्रमण बच्चों के लिए सिर्फ एक पिकनिक नहीं, बल्कि सीख और संवेदनाओं से भरी यात्रा साबित हुआ। ऐतिहासिक धरोहरों से जुड़कर उनके मन में नई जिज्ञासाएं पैदा हुईं और आत्मविश्वास भी बढ़ा।

कार्यक्रम ने यह साबित कर दिया कि सही मार्गदर्शन और अवसर मिलने पर हर बच्चा दुनिया को अपने अंदाज़ में समझने और महसूस करने में सक्षम है।

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