बुंदेलखंड की मिट्टी का नाम लेते ही आमतौर पर सूखा, पथरीलापन और कम उपज की तस्वीर सामने आती है। लेकिन इसी धरती पर एक किसान ने ऐसा प्रयोग किया, जिसने पूरे इलाके को चौंका दिया। परंपरागत फसलों से हटकर उसने स्ट्रॉबेरी उगाई—एक ऐसी फसल जिसकी कल्पना भी इस क्षेत्र में मुश्किल मानी जाती थी।
यह प्रयोग न सिर्फ सफल हुआ, बल्कि इसने किसानों के मन में नई उम्मीद जगाई कि सही तरीके से काम किया जाए तो यह धरती किसी भी आधुनिक फसल को जन्म दे सकती है।
तकनीक से बदली खेत की तस्वीर
स्ट्रॉबेरी की खेती आसान नहीं होती, लेकिन इस किसान ने तकनीक और समझदारी का सही इस्तेमाल करके इसे संभव कर दिखाया। खेत में आधुनिक सिंचाई व्यवस्था लगाई गई, जिससे पानी की बचत हुई और पौधों को निरंतर नमी मिलती रही। मिट्टी में सुधार के लिए जैविक तरीकों को अपनाया गया, जिससे फसल का रंग और गुणवत्ता दोनों बेहतर हुए। इस मॉडल को देखकर अन्य किसान भी अपनी पारंपरिक खेती पर सवाल उठाने लगे हैं। धीरे–धीरे इलाके में नई सोच और नए प्रयोगों की हवा बहने लगी है।
मेहनत और जोखिम का मिला बड़ा फल
स्ट्रॉबेरी जैसी नाज़ुक फसल मेहनत और खर्च दोनों मांगती है। लेकिन जब खेती सफल हुई, तो इसका लाभ पारंपरिक फसलों से कहीं ज्यादा मिला। इससे किसान की आमदनी में बड़ा बदलाव आया और उसकी कहानी पूरे क्षेत्र में चर्चा का विषय बन गई। यह सफलता दिखाती है कि जोखिम उठाया जाए और खेती को तकनीक से जोड़ा जाए, तो बंजर मानी जाने वाली जमीन भी हरा भविष्य दे सकती है।
बुंदेलखंड बना नई कृषि सोच का केंद्र
इस मॉडल को अब पूरे प्रदेश में प्रेरणा के रूप में देखा जा रहा है। यह उदाहरण साबित करता है कि जब किसान नई राह अपनाते हैं, तो पूरे इलाके की किस्मत बदल सकती है।

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