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अयोध्या से 500 KM दूर सागर में विशाल देव स्थान का जीर्णोद्धार

अयोध्या से 500 KM दूर सागर में विशाल देव स्थान का जीर्णोद्धार

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सागर में करीब पांच करोड़ की लागत से ऐतिहासिक देव भूतेश्वर मंदिर का जीर्णोद्धार सोमनाथ की तर्ज पर हो रहा है। राजस्थान के भरतपुर से मंदिर निर्माण के लिए लाल पत्थर लाए जा रहे थे करीब चार महीने तक वहां से केवल अयोध्या के लिए पत्थरों की आपूर्ति हुई, इसीलिए यहां के मंदिर का काम रोक दिया गया।

अयोध्या में बन रहे राम मंदिर के लिए बुंदेलखंड ने भी अपने स्तर पर अप्रत्यक्ष रूप से योगदान किया है। राम मंदिर का निर्माण समय सीमा में हो सके, इसके लिए यहां सोमनाथ मंदिर की तर्ज पर बन रहे विशाल भूतेश्वर मंदिर के काम को करीब चार महीने के लिए रोक दिया गया। ऐसा इसलिए किया गया कि अयोध्या में राजस्थान से मंदिर निर्माण के लिए लाल पत्थरों की आपूर्ति निर्बाध होती रहे।

चार महीने तक रोके रखा भूतेश्वर मंदिर का काम

देवश्री भूतेश्वर देवस्थानम मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष पं. वीरेंद्र पाठक का कहना है कि राजस्थान के भरतपुर से मंदिर निर्माण के लिए लाल पत्थर लाए जा रहे थे और यही पत्थर अयोध्या में रामलला के मंदिर के लिए भी जा रहे हैं। अगस्त के करीब रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की तिथि घोषित हो गई और मंदिर निर्माण समय पर पूरा करने के लिए लाल पत्थरों की मांग बढ़ गई। हमें यह पता लगा तो हमनें खुद पत्थर मंगाने बंद कर दिए।

करीब चार महीने तक वहां से केवल अयोध्या के लिए पत्थरों की आपूर्ति हुई, इसीलिए यहां के मंदिर का काम रोक दिया गया। दिसंबर में हमें पता चला कि अब अयोध्या के लिए पत्थरों की आपूर्ति भरपूर हो गई है, तब हमने दोबारा पत्थर के लिए संपर्क किया है। अब फिर से मंदिर का काम शुरू हो गया है।

ऐतिहासिक देव भूतेश्वर मंदिर का जीर्णोद्धार

पाठक बताते हैं कि सागर में करीब पांच करोड़ की लागत से ऐतिहासिक देव भूतेश्वर मंदिर का जीर्णोद्धार सोमनाथ की तर्ज पर हो रहा है। मंदिर के निर्माण के लिए उन्हीं कारीगरों को बुलाया गया है, जिनके पूर्वज या जिन कारीगरों ने सोमनाथ मंदिर के निर्माण में काम किया था। ज्यादातर कारीगर गुजरात और राजस्थान के हैं। परिसर में करीब 5500 वर्गफीट में मंदिर का निर्माण किया जाएगा। मंदिर की ऊंचाई 51 फीट तय की गई है। इसके अलावा लंबाई 101 और चौड़ाई 51 फीट रहेगी।

वर्तमान में मंदिर का गर्भगृह काफी छोटा है, यहां शिवलिंग पर पूजापाठ करने और जल अर्पित करने में खासकर पर्वों के समय भक्तों को काफी दिक्कत होती है, इसलिए मंदिर का गर्भगृह 20 बाई 20 का बनाया जाएगा। मंदिर निर्माण की अनुमानित लागत भविष्य में बढ़ सकती है।

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