झांसी। नवरात्र के साथ 22 सितंबर से त्योहारी सीजन की शुरुआत होने वाली है। ऐसे समय में आमतौर पर बाजारों में चहल-पहल बढ़ जाती है और व्यापारी ग्राहकों की मांग को पूरा करने के लिए बड़े पैमाने पर नया स्टॉक मंगवाते हैं। लेकिन इस बार हालात अलग हैं। जीएसटी दरों में होने वाले बदलाव ने व्यापारियों को दुविधा में डाल दिया है।
व्यापारियों का कहना है कि यदि वे अभी स्टॉक खरीदते हैं, तो उन्हें पुराने टैक्स स्लैब के हिसाब से जीएसटी चुकाना होगा। वहीं, जैसे ही नई दरें लागू होंगी, वही सामान बाजार में सस्ती दरों पर बेचना पड़ेगा। इसका सीधा असर उनकी लागत और मुनाफे पर पड़ेगा। यही वजह है कि संभावित घाटे से बचने के लिए अधिकतर व्यापारी फिलहाल नया माल मंगवाने से परहेज कर रहे हैं।
नई दरों के लागू होने के बाद कई वस्तुओं की टैक्स दरों में कमी की जाएगी। उदाहरण के लिए, जो सामान अभी 28 प्रतिशत टैक्स स्लैब में आता है, वह 18 प्रतिशत में आ जाएगा। इसी तरह कुछ वस्तुएं, जिन पर 12 प्रतिशत जीएसटी लगता है, उन पर टैक्स घटकर सिर्फ 5 प्रतिशत हो जाएगा। ऐसे बदलावों से उपभोक्ताओं को तो राहत मिलेगी, लेकिन व्यापारी पुराने स्टॉक को बेचते समय भारी नुकसान झेल सकते हैं।
झांसी के स्थानीय व्यापारियों का कहना है कि सरकार को इस स्थिति में राहत देने के उपाय करने चाहिए। व्यापार मंडल से जुड़े एक व्यापारी ने बताया कि त्योहारी सीजन में व्यापारियों को स्टॉक की बड़ी जरूरत होती है, लेकिन टैक्स की जटिलताओं ने उन्हें उलझन में डाल दिया है। कंपनियां भी अभी अपडेटेड टैक्स स्लैब के हिसाब से नया माल बाजार में उतारने की तैयारी कर रही हैं। ऐसे में व्यापारी इंतजार की नीति अपनाए हुए हैं।
त्योहारों के समय पर बाजार में सामान की कमी न हो, इसके लिए कई व्यापारी सीमित मात्रा में ही खरीदारी कर रहे हैं। लेकिन यदि नई दरें लागू होने में देरी हुई तो इसका असर उपभोक्ताओं तक भी पहुंच सकता है। ऐसे हालात में उपभोक्ताओं को त्योहार पर महंगी खरीदारी करनी पड़ सकती है या फिर उन्हें मनपसंद सामान उपलब्ध नहीं हो पाएगा।
कुल मिलाकर, जीएसटी दरों के बदलाव ने न केवल व्यापारियों की तैयारी पर असर डाला है, बल्कि त्योहार के समय उपभोक्ताओं की खरीददारी की योजना पर भी अनिश्चितता के बादल मंडराने लगे हैं।
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