Banda: कालिंजर में आज से शुरू होगा ऐतिहासिक कतकी मेला, श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ा

कालिंजर दुर्ग में कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर बुधवार से पांच दिवसीय कतकी मेला की शुरुआत होगी। प्रशासन ने मेले को लेकर सभी तैयारियां पूरी कर ली हैं। श्रद्धालुओं की भीड़ को नियंत्रित करने के लिए मुख्य मार्गों पर बैरियर लगाए गए हैं। यात्रियों की सुविधा के लिए अतिरिक्त बसें चलाई गई हैं, वहीं सुरक्षा व्यवस्था के तहत पर्याप्त पुलिस बल भी तैनात किया गया है। मेला परिसर में बाहरी दुकानदारों ने अपनी दुकानें सजा ली हैं और श्रद्धालुओं का पहुंचना शुरू हो गया है।

एक हजार साल पुरानी परंपरा

कालिंजर का यह मेला केवल धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि एक ऐतिहासिक परंपरा का प्रतीक है। कहा जाता है कि इस मेले की शुरुआत चंदेल शासक परिमार्दिदेव के शासनकाल में, करीब 12वीं सदी में हुई थी। उस दौर में यह मेला कला और संस्कृति का प्रमुख केंद्र हुआ करता था। ऐतिहासिक अभिलेखों के अनुसार, पद्मावती का नृत्य उस समय के महोत्सव का मुख्य आकर्षण हुआ करता था। आज भी वही परंपरा श्रद्धा और भक्ति के साथ जीवित है।

धार्मिक आस्था और मान्यताएं

नीलकंठ महादेव मंदिर इस मेले का केंद्र है। मान्यता है कि समुद्र मंथन के बाद विषपान करने के पश्चात भगवान शिव यहीं तपस्या के लिए आए थे। पुराणों में उल्लेख है कि कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर यहां स्नान और दर्शन करने से एक हजार गायों के दान के बराबर पुण्य प्राप्त होता है। यही कारण है कि यहां हर वर्ष हजारों की संख्या में श्रद्धालु बांदा, चित्रकूट, प्रयागराज, लखनऊ, पन्ना, छतरपुर और रीवा सहित विभिन्न स्थानों से पहुंचते हैं।

कालेश्वर मंदिर में दुग्धाभिषेक आकर्षण का केंद्र

इसी तरह पैलानी क्षेत्र के निबाइच गांव स्थित कालेश्वर मंदिर में भी दो दिवसीय मेला शुरू हो गया है। यहां कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर भगवान शिव का जलाभिषेक नहीं, बल्कि दुग्धाभिषेक किया जाता है। अंतिम दिन दंगल का आयोजन किया जाएगा। मंदिर परिसर में दुकानदारों और श्रद्धालुओं की चहल-पहल के साथ पूरा वातावरण भक्ति और उल्लास से भरा हुआ है।

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